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वह दस साल की बच्ची है। उसका नाम है ऐश्वर्या। हालांकि उसका ऐश्वर्या बच्चन से कोई लेना-देना नहीं है, जो एक जानी-मानी शख्सियत हैं। संभव है कि इस खूबसूरत अभिनेत्री ने 1990 के दशक में सौंदर्य स्पद्र्धा में सवालों के अच्छे ढंग से जवाब दिए हों और संभवत: जजों ने उनसे बेहतरीन सवाल भी पूछे हों। लेकिन इस दस वर्षीय ऐश्वर्या पाराशर ने जो सवाल पूछा है, उसने न सिर्फ जजों, आम भारतीयों, अग्रणी विशारदों बल्कि समूची सरकार को उलझन में डाल दिया है। उसका एक सवाल, जो उसके शहर लखनऊ के स्थानीय राइट टू इंफॉर्मेशन ऑफिसर के समक्ष पेश किया गया था, सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा। वहां से इसेगृह मंत्रालय भेजा गया और इसके बाद यह राष्टरीय अभिलेखागार (एनएआई) तक पहुंचा। देश के इतने बड़े-बड़े कार्यालयों में घूमने के बाद, पांचवीं कक्षा में पढऩे वाली इस बच्ची को जवाब में एनएआई के असिस्टेंट डायरेक्टर का पत्र मिला। इसमें कहा गया, 'आपने जो जानकारी मांगी है, उससे संबंधित कोई खास दस्तावेज हमारे पास नहीं हैं।' पत्र में उस बच्ची से यह भी कहा गया था कि यदि वह खुद एनएआई के ऑफिस में आकर इस संदर्भ में कोई खोजबीन करना चाहती है, तो उसका यहां स्वागत है। 

आखिर उसने ऐसा कौन-सा सवाल पूछा था, जिसने इतने सारे शीर्षस्थ अधिकारियों को उलझन में डाल दिया? उसने बस यही पूछा था कि महात्मा गांधी को क्या कभी आधिकारिक तौर पर 'राष्टï्रपिता' की उपाधि दी गई थी? उसने सबसे पहले यह सवाल लखनऊ के मोटेंसरी स्कूल के अपने टीचरों से पूछा, जहां वह पढ़ती है। जब टीचर प्रामाणिक ढंग से इसका कोई उपयुक्त जवाब नहीं दे सके, तो उसने अपनी मां (जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं) की सलाह पर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत सरकार से इस संदर्भ में जानकारी मांगी। बहरहाल, यदि हम पिछले रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाएं तो हमें पता चलेगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले बापू को 'राष्टपिता' कहकर संबोधित किया और बाद में यह चलन बन गया। कुछ लोगों का कहना है कि सुभाष चंद्र बोस ने एक बार रंगून से रेडियो पर संबोधित करते हुए महात्मा गांधी को यह उपाधि दी। बहरहाल, इस पर अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग जवाब पेश किए हैं। 

वैसे ऐश्वर्या सवाल पूछने वाली इकलौती बच्ची नहीं है। हरेक बच्चा जिज्ञासु होता है और वह हमसे विभिन्न तरह के सवाल पूछता रहता है। लेकिन दुर्भाग्य से हममें से किसी के पास इतना समय नहीं होता कि उसके फौरी तौर पर पूछे गए इंटेलिजेंट सवालों को सुनकर उनके उपयुक्त जवाब दे सकें। हमारी अज्ञानता या अधीरता का नतीजा यह होता है कि हम एक औसत दर्जे की अगली पीढ़ी तैयार करने लगते हैं। यदि आपके बच्चे आपसे ऐसे सवाल पूछते हैं, जो आपको मुश्किल स्थिति में डाल देते हैं तो कृपया इसके लिए बच्चों को दोष न दें। इस पीढ़ी में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जो अपनी कल्पनाशीलता का इस्तेमाल करते हुए बड़े गहरे सवाल पूछते हैं। हम सबने इस नई पीढ़ी में नादान विचारों वाले कई कई उग्र बच्चे देखे होंगे, लेकिन वे भी प्रबल भावनाएं और स्पष्टï राय जाहिर करते हैं। 

वे आपसे कई तरह के सवाल पूछ सकते हैं, मसलन- हवाई जहाज क्यों उड़ते हैं? मछलियां क्यों तैरती हैं? हम इंसान की तरह भगवान को क्यों नहीं देख सकते? किसी को मरता देख बच्चे पूछ सकते हैं कि इंसान मरते क्यों हैं। क्या आपके पास इन सवालों के जवाब हैं? 

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