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हाल ही में टेरी यूनिवर्सिटी की ओर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित की गईं मशहूर बॉलीवुड अदाकारा और सामाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी हार्ड वर्क और ट्रेनिंग को सक्सेस की सबसे बड़ी की मानती हैं..
शोर यूं ही न परिदों ने मचाया होगा
कोई जंगल की तरफ शहर से आया होगा।
पेड़ को काटने वाले को ये मालूम तो था
जिस्म जल जाएंगे गर सर पे न साया होगा।
अपने शायर और कवि पिता कैफी आजमी की ये लाइनें पढ़ते वक्त अभिनेत्री शबाना आजमी काफी भावुक हो उठती हैं। कहती हैं, प्रोग्रेस सही दिशा में होना जरूरी है। उससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है कि हम अपनी प्रगति के लिए क्या कीमत चुकाते हैं। वह कीमत ही हमारा भविष्य तय करती है।
अनुभवों से सीखते चलें
मैंने काफी वक्त मुंबई की झुग्गियों में, अंडर-प्रिविलेज्ड लड़कियों के साथ और आजमगढ़ के टाइनी गांव में गरीबों-बेसहारों के बीच रहकर काम किया है। वहां के अनुभवों से बहुत कुछ सीखा है। ये अनुभव कब आपकी पर्सनैलिटी में शामिल हो जाते हैं, आपको पता भी नहींचलता। इसके बाद आप इन्हींअनुभवों से ही सीखते चले जाते हैं।
जिंदगी का कड़वा सच
जिंदगी उतनी आसान नहीं, जितनी हम अक्सर सोचते हैं। लेकिन अगर उसकी हकीकत मालूम हो, तो सब आसान हो जाता है। कदम-कदम पर आपके सामने चुनौतियां आती हैं, आप चाहें तो उन्हें हल्के में लें, चाहें तो गंभीरता से। जैसे-जैसे आप इन चुनौतियों से पार पाना समझ और सीख जाते हैं, आप उतने ही मजबूत होते जाते हैं। इस तरह से जिंदगी एक बहती हुई नदी की तरह आगे बढ़ती रहती है।
सबको साथ लेकर चलें
हमारे भीतर सबको साथ लेकर चलने की भावना होनी चाहिए, तभी हम सही मायने में प्रगति कर सकते हैं। ऐसा न हो कि अपनी प्रगति के लिए कई सारे लोगों की किस्मत दांव पर लगा दी जाए। जब आप केवल अपने बारे में सोचते हैं, तो इसमें सिर्फ आपके स्वार्थ और प्रगति की बात होती है। लेकिन जब अपने साथ-साथ दूसरों के बारे में भी सोचते हैं, तो इससे सबकी तरक्की होती है। इस तरह की सोच आपकी आदत में शुमार हो जानी चाहिए।
अवसर पहचानें
हर किसी के लिए सफलता का कोई एक जैसा पैमाना नहींहोता। अहम सवाल यह है कि आप जो कुछ करना चाहते हैं, उसके लिए कितने ईमानदार हैं और किस हद तक जा सकते हैं। सफलता के लिए दो बातें बहुत जरूरी हैं-पहली, कड़ी मेहनत और दूसरा अवसर। जब तक आप मौके की तलाश में हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे, सोचते रहेंगे, तब तक कुछ नहीं होने वाला। जरूरत है कि सही अवसर सामने आते ही उसे पहचानें और उसके लिए जी-जान से मेहनत करें।
न चूकें मेहनत से
हो सकता है अवसर आपके दरवाजे पर दस्तक दे, लेकिन आप आलस्य के कारण उसे छोड़ दें। इसलिए लाइफ में अलर्टनेस और हार्ड वर्किग होना बहुत जरूरी है। जो लोग सफल हैं, उनकी लाइफ पर नजर डालें, तो उसके पीछे उनकी मेहनत साफ नजर आएगी। सिनेमा के पर्दे पर आपको जो नजर आता है, सब बहुत खूबसूरत और आकर्षक लगता है, लेकिन कम ही लोगों को पता होता है कि इसके पीछे कितनी मेहनत होती है। दर्शकों के सामने जो आता है, वह एडिटेड होता है।
मौका न छोड़ें
कई बार आपको चांस ही नहीं मिलता और मिलता भी है, तो हम खुद को अच्छी तरह प्रूव नहीं कर पाते। उसकी बड़ी वजह है, हम अपना सही आकलन नहीं कर पाते कि हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं। ऐसे में कोई अवसर आपकी जिंदगी के दरवाजे पर दस्तक देता भी है, तो यह सोचकर दरवाजा नहींखोलते कि यह मेरे लायक नहींहै। ऐसा करना ठीक नहींहै, किसी भी मौके को हाथ जाने न दें।
कड़ी ट्रेनिंग जरूरी है
एक्टिंग की फील्ड को ही लें, तो आमतौर पर लोग समझते हैं कि चलो शक्ल अच्छी है, डांस कर सकते हैं, दो-चार प्ले भी कर लिए, तो एक्टिंग भी कर सकते हैं। ऐसा नहीं है। एक्टिंग के लिए आपको अच्छी ट्रेनिंग लेनी होगी। फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे जाना होगा। वहां सीटें कम हैं, तो सत्यजीत रे इंस्टीट्यूट या और भी दूसरे इंस्टीट्यूट हैं, वहां जाकर पहले आपको सीखना होगा। पहले खुद को समझना होगा, फिर अपनी कला को तराशना होगा। इसके बाद ही मैदान में उतरेंगे, तो कुछ बात होगी। कारण यह है कि आज कॉम्पिटिशन कहीं ज्यादा टफ है। एक छोटी सी गलती भी आपको सालों पीछे कर सकती है।

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