9/11 की घटना के बाद अलकायदा की ओर से भेजे गए एक गुप्त कोड को तोडकर उसे समझने वाला केवल एक शख्स था। एथिकल हैकर अंकित फडिया।
केवल सोलह साल की उम्र में अंकित फडिया ने कोडेड संदेश को तोडकर दिखा दिया कि हिंदुस्तानी भी कहीं कम नहीं है। उसके बाद से हर बडी आतंकी घटनाएं होने पर साइबर स्थिति को समझने के लिए अंकित को याद किया जाता है। अंकित ने आतंकवाद और साइबर अपराध से जुडी कई समस्याओं को सुलझाया है।
साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट अंकित खुद को एक एथिकल हैकर कहलाना पसंद करते हैं। अंकित इन दिनों कंप्यूटर सिक्योरिटी से जुडी एक कंपनी के निजी सलाहकार हैं। अंकित ने व्यापक रूप में साइबर अपराध और आतंकवादी गतिविधियों की पोल खोलने के जो कार्य किए हैं, वे खासे सराहनीय हंै। 24 वर्षीय अंकित की स्कूली शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुई। बाद में इन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया से कंप्यूटर साइंस में स्नातक किया।
माता पिता से उपहार में प्राप्त कंप्यूटर पर अंकित ने स्कूल के दौरान ही हैकिंग के गुर सीखने शुरू कर दिए थे। जल्द ही वे इसके विशेषज्ञ बन गए। महज तेरह साल की उम्र में अंकित ने एक मैगजीन की वेबसाइट को हैक कर लिया। शायद उन्हें इस काम के लिए जेल जाना पडता, लेकिन मैगजीन के संपादक को उन्होंने ई मेल करके बताया की उनकी वेबसाइट कितनी असुरक्षित है और इसकी सुरक्षा के लिए कैसे कदम उठाने चाहिए। यह उनके जीवन की पहली हैकिंग थी।
अंकित ने पिछले तीन वर्षो में लगभग बीस हजार लोगों को एथिकल हैकिंग की ट्रेनिंग दी है। यही नहीं इन्होंने 'हैकिंग ट्रूथ' के नाम से एक वेबसाइट भी शुरू की है, जिसे एफबीआई ने दुनिया की दूसरी सबसे बेहतरीन वेबसाइट माना है। हैकिंग पर अंकित ने अब तक तेरह किताबें लिखी है। चौदह वर्ष की आयु में लिखी 'द अनऑफिशियल गाइड टू एथिकल हैकिंग' की दुनिया में तीन लाख प्रतियां बिकी।
इस बेस्ट सेलर बुक का ग्यारह भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। वे 25 से ज्यादा देशों में लगभग1000 सेमीनार में हिस्सा ले चुके हैं। लगभग तीस से भी ज्यादा अवार्ड इनके खाते में है। इन सब के साथ फडिया एक स्कूल भी चलाते हंै जो हैकिंग रोकने की ट्रेनिंग भी देता है। कह सकते हैं कि जब दुनिया इलेक्ट्रोनिक संग्राम में प्रवेश कर चुकी है तब अंकित फडिया जैसे टेक्नोसेवी युवा देश की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
केवल सोलह साल की उम्र में अंकित फडिया ने कोडेड संदेश को तोडकर दिखा दिया कि हिंदुस्तानी भी कहीं कम नहीं है। उसके बाद से हर बडी आतंकी घटनाएं होने पर साइबर स्थिति को समझने के लिए अंकित को याद किया जाता है। अंकित ने आतंकवाद और साइबर अपराध से जुडी कई समस्याओं को सुलझाया है।
साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट अंकित खुद को एक एथिकल हैकर कहलाना पसंद करते हैं। अंकित इन दिनों कंप्यूटर सिक्योरिटी से जुडी एक कंपनी के निजी सलाहकार हैं। अंकित ने व्यापक रूप में साइबर अपराध और आतंकवादी गतिविधियों की पोल खोलने के जो कार्य किए हैं, वे खासे सराहनीय हंै। 24 वर्षीय अंकित की स्कूली शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुई। बाद में इन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया से कंप्यूटर साइंस में स्नातक किया।
माता पिता से उपहार में प्राप्त कंप्यूटर पर अंकित ने स्कूल के दौरान ही हैकिंग के गुर सीखने शुरू कर दिए थे। जल्द ही वे इसके विशेषज्ञ बन गए। महज तेरह साल की उम्र में अंकित ने एक मैगजीन की वेबसाइट को हैक कर लिया। शायद उन्हें इस काम के लिए जेल जाना पडता, लेकिन मैगजीन के संपादक को उन्होंने ई मेल करके बताया की उनकी वेबसाइट कितनी असुरक्षित है और इसकी सुरक्षा के लिए कैसे कदम उठाने चाहिए। यह उनके जीवन की पहली हैकिंग थी।
अंकित ने पिछले तीन वर्षो में लगभग बीस हजार लोगों को एथिकल हैकिंग की ट्रेनिंग दी है। यही नहीं इन्होंने 'हैकिंग ट्रूथ' के नाम से एक वेबसाइट भी शुरू की है, जिसे एफबीआई ने दुनिया की दूसरी सबसे बेहतरीन वेबसाइट माना है। हैकिंग पर अंकित ने अब तक तेरह किताबें लिखी है। चौदह वर्ष की आयु में लिखी 'द अनऑफिशियल गाइड टू एथिकल हैकिंग' की दुनिया में तीन लाख प्रतियां बिकी।
इस बेस्ट सेलर बुक का ग्यारह भाषाओं में अनुवाद भी किया गया है। वे 25 से ज्यादा देशों में लगभग1000 सेमीनार में हिस्सा ले चुके हैं। लगभग तीस से भी ज्यादा अवार्ड इनके खाते में है। इन सब के साथ फडिया एक स्कूल भी चलाते हंै जो हैकिंग रोकने की ट्रेनिंग भी देता है। कह सकते हैं कि जब दुनिया इलेक्ट्रोनिक संग्राम में प्रवेश कर चुकी है तब अंकित फडिया जैसे टेक्नोसेवी युवा देश की सुरक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।