सफलता के लिए इन बातों का ध्यान रखें
Source: पं. विजयशंकर मेहता
कम्प्यूटर के दौर में हर चीज के शार्टकट ने हमारे दिमाग में घर कर लिया है। बिना शार्टकट अब शायद ही कोई काम होता हो। जीवन के प्रति इस रवैए ने हमारे समाज में भ्रष्टाचार के बीज बो दिए हैं। किसी काम में अगर भ्रष्टाचार शामिल हो जाए तो सफलता दूषित हो जाती है। और ऐसी सफलता आनंद नहीं, अशांति ही देती है। यह तत्काल का समय है। सभी को सबकुछ जल्दी चाहिए। इस चक्कर में कुछ लोग शार्टकट अपना लेते हैं। सफलता के मामले में शार्टकट कभी-कभी भ्रष्टाचार और अपराध की सुरंग से भी गुजार देता है। हनुमानजी सफलता का पर्याय हैं। इनके यशगान हनुमानचालीसा में प्रथम पंक्तियों में गुरु की शरण की बात लिखी गई है। इस शरणागति का मतलब है मेरे पूर्ण पुरुषार्थ के बाद भी कोई शक्ति है जो मुझे असफलता से बचाएगी। इस शरणागति को मजबूत बनाने के लिए ही तुलसीदासजी ने हनुमानचालीसा के पहले दोहे में च्च्जो दायकु फलचारिज्ज् लिखा है।
यूं तो किसी भी ग्रंथ की फलश्रुति अंत में बताई जाती है पर यहाँ पहले ही लिख देने का कारण यही है कि सब लोग आज तुरंत फल चाहते हैं। ये चार फल हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष।आज के समय में शीघ्र फल की आकांक्षा हो यह तो ठीक है लेकिन शीघ्र फल दे ऐसा परिश्रम भी किया जाए। यदि हमारे ऊपर कोई दायित्व हो तो शतप्रतिशत परिणाम के लिए प्रयास किए जाएं। यदि विवेक से काम लिया जाए तो शीघ्रता का अर्थ है आलस्य रहित सक्रियता। अकारण विलंब करना हमारी आदत न बन जाए, इसलिए हनुमानजी से हम सीख लें तत्काल का अर्थ है समयबद्ध आचरण। ज्ञान का खतरा अहंकार में है और भक्ति का आलस्य में। इसलिए हनुमानचालीसा की पहली पंक्ति से सीखा जाए फल की आकांक्षा, आसक्ति भले ही न रखी जाए किन्तु परिणाम के प्रति तत्परता, सजगता जरूर रखी जाए। जब हम फल की उपलब्धि को समझ लेंगे तो प्रयासों के महत्त्व को भी जानकर ठीक से कार्य कर सकेंगे।