डिमांड ज्यादा, सप्लाई कम
आईटी सेक्टर में भारत के वर्चस्व को दुनिया में बनाए रखने के लिए सबसे बडा चैलेंज है-स्किल्ड मैनपॉवर की कमी को पूरा करना। देश के आईटी सेक्टर के सामने सबसे बडी समस्या पर्याप्त संख्या में एक्सपर्ट्स उपलब्ध न होना है। इस बारे में देश की सबसे बडी आईटी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी टीसीएस (टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज) के सीईओ एस रामादुरई इस बात को स्वीकार करते हैं कि इस क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की डिमांड बहुत ज्यादा है, जबकि सप्लाई बहुत कम। जानी-मानी सर्वे कंपनी मैकिन्जे के प्रमुख नौशिर काका आंकडों के आधार पर बताते हैं कि वर्तमान गति से चल रहे कारोबार को देखते हुए भारत को वर्ष 2010 तक 2.3 मिलियन (करीब 23 लाख) आईटी व बीपीओ एक्सपर्ट्स की जरूरत होगी, लेकिन देश में जिस रफ्तार से क्वॉलिफाइड लोग तैयार हो रहे हैं, उसमें 5 लाख की कमी बनी रहेगी। इस स्थिति को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि यदि युवा अपनी रुचि के अनुसार सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर-नेटवर्किग से जुडा कोई भी कोर्स करते हैं, तो उनके लिए आकर्षक रोजगार का द्वार हमेशा खुला है और वह भी आकर्षक सैलॅरी पैकेज पर। तरह-तरह के हैं काम
आईटी वर्ल्ड में तरह-तरह के काम हैं। खास बात यह है कि इन सभी कामों में खूब पैसा भी मिल रहा है। यही कारण है कि युवाओं के बीच इनसे संबंधित कोर्सो का जबर्दस्त क्रेज है और जिन संस्थानों में ऐसे कोर्स संचालित हैं, वहां स्टूडेंट्स की भीड लगी है। आइए जानते हैं किन-किन क्षेत्रों में स्किल्ड मैनपॉवर की जरूरत है :सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट : आईटी सेक्टर में सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट के कार्य से सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और प्रोग्रामर्स जुडे होते हैं। इनका मुख्य कार्य विभिन्न सॉफ्टवेयर लैंग्वेज में सॉफ्टवेयर डेवॅलप करना होता है। देखा जाए, तो सॉफ्टवेयर दो तरह के होते हैं-ऐप्लिकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर। इन सॉफ्टवेयर की सहायता से कई तरह के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तैयार किए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल कंपनियां करती हैं। सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट में काम करने के लिए नॉलेज को हमेशा अपडेट करते रहने के साथ ही प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज, जैसे- सी, सी++, जावा, विजुअल बेसिक आदि में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी।
सिस्टम एनैलिस्ट : सिस्टम एनैलिस्ट कम्प्यूटर डेवलॅप करने का प्लॉन बनाते हैं। यदि सिस्टम एनैलिस्ट के रूप में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको सभी तरह के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जानकारी रखनी होगी। सिस्टम एनैलिस्ट ग्राहकों की बिजनेस आवश्यकता को समझते हुए भी सिस्टम तैयार करने में दक्ष होते हैं।
डाटा बेस : डाटा बेस के तहत डाटा को इस प्रकार से स्टोर किया जाता है कि जरूरत पडने पर इन्हें आसानी से इस्तेमाल और अपटेड किया जा सके। किसी भी कंपनी के लिए उनका डाटा काफी मायने रखता है। ऐसे में डाटाबेस प्रोफेशनल्स की मांग तेजी से बढने लगी है, क्योंकि आज तकरीबन हर छोटी-बडी कंपनी डाटा मेंटेन करने और उन्हें अपटेड रखने की कोशिश करती रहती है।
सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर : सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर का मुख्य होता है। कार्य कनेक्टिविटी और इंटरनेट की सुविधा प्रदान करना। आईटी सेक्टर में नेटवर्किग काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि नेटवर्किग के माध्यम से ही कम्प्यूटर एक दूसरे से जुडे होते हैं। देखा जाए, तो आज हर छोटे-बडे संस्थान में कम्प्यूटर नेटवर्किग के लिए सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की जरूरत होती है। हालांकि, इस क्षेत्र में कार्य करने वालों को सिस्टम सिक्योरिटी के साथ-साथ नेटवर्किग सिक्योरिटी का भी ध्यान रखना पडता है। इसके अलावा, आप इस सेक्टर में कैड स्पेशलिस्ट, सिस्टम आर्किटेक्ट, विजुअल डिजाइनर, एचटीएमएल प्रोग्रामर, डोमेन स्पेशलिस्ट, इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी एक्सपर्ट, इंटिग्रेशन स्पेशलिस्ट, कम्युनिकेशन इंजीनियर, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, सेमीकंडक्टर स्पेशलिस्ट आदि के रूप में काम कर सकते हैं।
हार्डवेयर : सॉफ्टवेयर की तरह हार्डवेयर भी आईटी सेक्टर का महत्वपूर्ण अंग है। हार्डवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने वालों पर कम्प्यूटर असेंबल करने से लेकर इसके खराब पार्ट्स की मरम्मत तक की पूरी जिम्मेदारी होती है। दरअसल, आज हर जगह कम्प्यूटर के बढते इस्तेमाल के कारण ऐसे हार्डवेयर प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ गई है, जो कि कम्प्यूटर को चुस्त-दुरुस्त रखने में माहिर हों। हार्डवेयर के क्षेत्र से जुडने के बाद मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट आदि क्षेत्र में भी कार्य करने के भरपूर मौके मिलते हैं।
कोर्स हैं कई
कम्प्यूटर के क्षेत्र में दो तरह के काम होते हैं-पहला, सॉफ्टवेयर से संबंधित और दूसरा, हार्डवेयर से संबंधित। सॉफ्टवेयर के तहत जहां प्रोग्रामिंग और सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है, वहीं हार्डवेयर के तहत कम्प्यूटर को असेंबल करने तथा किसी पार्ट के खराब होने पर उसे ठीक करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इनसे संबंधित कई तरह के कोर्स सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं :ग्रेजुएट लेवॅल कोर्स : इसके लेवॅल पर प्रमुख कोर्स हैं-बीएससी नॉलेज को हमेशा अपडेट करते रहने के साथ ही प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज, जैसे- सी, सी++, जावा, विजुअल बेसिक आदि में विशेषज्ञता हासिल करनी होगी।
सिस्टम एनैलिस्ट : सिस्टम एनैलिस्ट कम्प्यूटर डेवलॅप करने का प्लॉन बनाते हैं। यदि सिस्टम एनैलिस्ट के रूप में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको सभी तरह के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जानकारी रखनी होगी। सिस्टम एनैलिस्ट ग्राहकों की बिजनेस आवश्यकता को समझते हुए भी सिस्टम तैयार करने में दक्ष होते हैं।
सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर : आईटी सेक्टर में नेटवर्किग काफी महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि नेटवर्किग के माध्यम से ही कम्प्यूटर एक दूसरे से जुडे होते हैं। देखा जाए, तो आज हर छोटे-बडे संस्थान में कम्प्यूटर नेटवर्किग के लिए सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की जरूरत होती है। हालांकि, इस क्षेत्र में कार्य करने वालों को सिस्टम सिक्योरिटी के साथ-साथ नेटवर्किग सिक्योरिटी का भी ध्यान रखना पडता है। इसके अलावा, आप इस सेक्टर में कैड स्पेशलिस्ट, सिस्टम आर्किटेक्ट, विजुअल डिजाइनर, एचटीएमएल प्रोग्रामर, डोमेन स्पेशलिस्ट, इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी एक्सपर्ट, इंटिग्रेशन स्पेशलिस्ट, कम्युनिकेशन इंजीनियर, सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, सेमीकंडक्टर स्पेशलिस्ट आदि के रूप में काम कर सकते हैं।
हार्डवेयर : सॉफ्टवेयर की तरह हार्डवेयर भी आईटी सेक्टर का महत्वपूर्ण अंग है। हार्डवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने वालों पर कम्प्यूटर असेंबल करने से लेकर इसके खराब पार्ट्स की मरम्मत तक की पूरी जिम्मेदारी होती है। आज हर जगह कम्प्यूटर के बढते इस्तेमाल के कारण ऐसे हार्डवेयर प्रोफेशनल्स की मांग काफी बढ गई है, जो कि कम्प्यूटर को चुस्त-दुरुस्त रखने में माहिर हों। हार्डवेयर के क्षेत्र से जुडने के बाद मैन्युफैक्चरिंग, रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट आदि क्षेत्र में भी कार्य करने के भरपूर मौके मिलते हैं।
कोर्स हैं कई
कम्प्यूटर के क्षेत्र में दो तरह के काम होते हैं-पहला, सॉफ्टवेयर से संबंधित और दूसरा, हार्डवेयर से संबंधित। सॉफ्टवेयर के तहत जहां प्रोग्रामिंग और सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है, वहीं हार्डवेयर के तहत कम्प्यूटर को असेंबल करने तथा किसी पार्ट के खराब होने पर उसे ठीक करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इनसे संबंधित कई तरह के कोर्स सरकारी और निजी संस्थाओं द्वारा चलाए जाते हैं। इनमें प्रमुख हैं :ग्रेजुएट लेवॅल कोर्स : इसके लेवॅल पर प्रमुख कोर्स हैं-बीएससी इन कम्प्यूटर साइंस और बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशन यानी बीसीए। यह तीन साल का फुलटाइम कोर्स है। इसके अलावा आजकल सबसे ज्यादा क्रेज बीटेक (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी या कम्यूटर साइंस) का है। यह कोर्स देश के सभी आईआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों में है। आईआईटी में एडमिशन के लिए आईआईटी-जेईई उत्तीर्ण करनी होती है, जबकि अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए एआईईईई क्वालिफाई करना होता है। इन एंट्रेंस में शामिल होने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स के साथ बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके तहत कम्प्यूटर के बेसिक्स के साथ विभिन्न सॉफ्टवेयर लैंग्वेजेज की जानकारी और सॉफ्टवेयर डेवलॅप करना सिखाया जाता है। पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स : मास्टर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशन यानी एमसीए तीन वर्ष का फुलटाइम पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स है। यह कोर्स करके स्टूडेंट्स सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं। इसके तहत कम्प्यूटर संबंधी अवधारणाओं और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की ठोस जानकारी दी जाती है। एमसीए प्रोग्राम में सी, सी++, जावा लैंग्वेज, टेक्निकल टॉपिक्स, जैसे-कम्प्यूटर डिजाइन, थ्योरी ऑफ कम्प्यूटिंग, डिस्क्रिट मैथमेटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्राफिक्स, एनिमेशन आदि भी पढाया जाता है। बीसीए या एमसीए वहीं से करना चाहिए, जहां इन कोर्सो को ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) से मान्यता प्राप्त हो।
अन्य सॉफ्टवेयर कोर्स : उपर्युक्त कोर्सो के अलावा, मास्टर ऑफ कम्प्यूटर साइंस (एमसीएस), मास्टर ऑफ साइंस (कम्प्यूटर साइंस, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग आदि) तथा कम्प्यूटर साइंस या इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में एमफिल और पीएचडी भी किया जा सकता है।
हार्डवेयर-नेटवर्किग कोर्स : हर छोटे-बडे ऑफिस में कम्प्यूटर की अनिवार्यता को देखते हुए हार्डवेयर-नेटवर्किग एक्सपर्ट की डिमांड पूरी दुनिया में तेजी से बढ रही है। हार्डवेयर-नेटवर्किग कोर्स सामान्यतया निजी क्षेत्र के संस्थानों द्वारा चलाया जा रहा है। इस तरह के कोर्सो में कम्प्यूटर रिपेयर करने, असेंबल करने तथा खराब पुर्जो को बदलने की ट्रेनिंग दी जाती है। ऐसे कोर्स की अवधि सोलह से अठारह माह की होती है। इससे संबंधित कोर्स में प्रवेश लेने से पहले इस बात का खास खयाल रखें कि उस संस्थान में चिप लेवॅल की ट्रेनिंग दी जाती है या नहीं! यह एडवांस टेक्निक है। पहले कार्ड लेवॅल की ट्रेनिंग दी जाती थी, जो अब आउटडेटेड हो गई है। कार्ड लेवॅल में कम्प्यूटर के किसी पार्ट में खराबी आने पर पूरे खराब पार्ट को ही बदल दिया जाता था। पर अब चिप लेवॅल का प्रचलन है। इसमें कम्प्यूटर के जिस चिप में खराबी आती है, केवल उसकी मरम्मत करना सिखाया जाता है। इस बारे में दिल्ली स्थित ए-सेट के डायरेक्टर उदय कुमार वैश्य कहते हैं कि हार्डवेयर-नेटवर्किग के सीधे तौर पर जॉब ओरिएंटेड कोर्स होने के कारण स्टूडेंट्स को इससे संबंधित किसी भी संस्थान में प्रवेश के लिए खास सावधानी बरतनी चाहिए। प्रवेश वहीं लें, जहां चिप लेवॅल का एडवांस कोर्स कराया जाता हो और सैन जैसी उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जाता हो। इसके अलावा पूरे कोर्स की एकमुश्त फीस न लेकर मासिक आधार पर ली जाती हो, ताकि पढाई से संतुष्ट न होने पर आप वह संस्थान छोडकर कहीं और एडमिशन ले सकें।
डोएक कोर्स : भारत सरकार के इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री के अंतर्गत कार्यरत स्वायत्त संस्था डोएक (डीओईएसीसी) द्वारा संचालित विभिन्न लेवॅल के कोर्स करके भी आईटी की दुनिया में स्थान बना सकते हैं। बीसीए या एमसीए जैसे कोर्सो में प्रवेश न पा सकने वाले स्टूडेंट इन कोर्सो में प्रवेश ले सकते हैं। देश भर में डोएक से संबद्ध करीब एक हजार से अधिक संस्थानों द्वारा कोर्स संचालित किए जाते हैं। ये कोर्स चार स्तरों पर संचालित होते हैं-ओ लेवॅल, ए लेवॅल, बी लेवॅल तथा सी लेवॅल। इनमें ओ लेवॅल को पॉलिटेक्निक या डिप्लोमा के समकक्ष माना जाता है। ए लेवॅल एडवांस डिप्लोमा या पीजी डिप्लोमा तथा बी लेवॅल को एमसीए या एमएससी के समकक्ष माना जाता है। सी लेवॅल सबसे उच्च श्रेणी का कोर्स है, जिसे एमटेक के बराबर मान्यता प्राप्त है। डोएक सोसायटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीएन गुप्ता का कहना है कि डोएक की डिग्रियों को भारत सरकार ने सभी तरह की नौकरियों के लिए मान्यता प्रदान की है।
वर्ष 2010 तक भारत में करीब 23 लाख आईटी एक्सपर्ट्स की जरूरत होगी।
वैश्रि्वक मंदी के बावजूद भारतीय आईटी इंडस्ट्री की सालाना ग्रोथ रेट 25 प्रतिशत है।
आईटी इंडस्ट्री को आउटसोर्सिग से वर्ष 2010 तक 60 करोड डॉलर की आमदनी होगी।
आईआईटी या इंजीनियरिंग कॉलेजों से बीटेक करके आईटी वर्ल्ड में पहचान बना सकते हैं।
हार्डवेयर-नेटवर्किग का कोर्स करके भी बडी व मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब पा सकते हैं।