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प्रोफेशनल कोर्स जैसे एमबीए, बायोटेक्नोलॉजी, बीफार्मा आदि के छात्रों की दिलचस्पी भी यदि टीचिंग की ओर होने लगे तो निश्चय ही अब इस प्रोफेशन में कुछ खास बात नजर आने लगी है। पिछले दिनों बीटीसी कोर्स के लिए ऐसे कई स्टूडेंट्स ने आवेदन किया है जो पहले कोई प्रोफेशनल कोर्स कर चुके हैं। करें भी क्यों न, जब एक टीचर की शुरुआती सैलरी इन प्रोफेशनल कोर्सेज की नौकरी से कहीं अधिक है। सुरक्षित जॉब, साल में अधिक छुट्टियां और बेहतरीन पैकेज जैसी बातें सबको

इस प्रोफेशन की ओर आकर्षित करने लगी हैं।
कार्य की प्रकृति
                       शुरुआती स्तर यानी नर्सरी लेवल, जूनियर स्कूल लेवल, सेकेंडरी स्कूल लेवल और कॉलेज व यूनिवर्सिटी लेवल पर पढ़ाई के लिए अलग-अलग तरह के शिक्षकों की जरूरत होती है। इसके अलावा प्रशासनिक कार्यों के अधिकांश मामलों में भी अध्यापक ही किसी न किसी रूप में नियुक्त होते हैं।
पाठ्यक्रम और योग्यता

नर्सरी टीचिंग ः प्री-प्राइमरी टीचर नर्सरी के बच्चों को पढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। नर्सरी टीचिंग के लिए किसी पॉलिटेक्निक या वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग ली जा सकती है। इसके लिए १२वीं में कम-से-कम ५० प्रतिशत अंक होने चाहिए।
                                       प्राइमरी टीचिंग ः प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने के लिए एजुकेशन में डिप्लोमा या ग्रेजुएशन जरूरी है। होम साइंस स्नातकों की नियुक्ति भी प्राइमरी टीचर के रूप में होती है।
                बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने की योग्यता बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) कोर्स है। यह कोर्स भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार चलाया जाता है। इसके लिए योग्यता किसी भी विषय से ग्रेजुएशन है। नामांकन के लिए प्रवेश-परीक्षा आयोजित की जाती है। उत्तीर्ण होने पर सरकारी और निजी दोनों ही तरह के संस्थानों में दाखिला मिलता है।
                       सेकेंडरी/सीनियर सेकेंडरी टीचर ः ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) के लिए ग्रेजुएशन के बाद बीएड और पोस्टग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) के लिए पोस्टग्रेजुएशन के बाद बीएड करना होता है। बीएड के बाद एमएड भी किया जा सकता है।
                             खास स्कूल ः ऐसे स्कूल शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांगों के लिए होते हैं। इनमें शिक्षक के रूप में नियुक्ति केलिए १२वीं उत्तीर्ण होने के साथ-साथ संबंधित विषय/क्षेत्र में डिप्लोमा/डिगरी जरूरी है।
          कॉलेज लेक्चचर ः इसके लिए मास्टर डिगरी में कम-से-कम ५५ प्रतिशत अंक होने चाहिए। इसके अलावा यूजीसी/सीएसआईआर द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) भी उत्तीर्ण होना जरूरी है। इसके अलावा लेक्चररों की बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य स्तरीय जांच (एसएलईटी) परीक्षा भी होती है। इसके लिए योग्यता नेट की ही तरह होती है।
                           एनसीटीई ः जो शिक्षक अभी पढ़ा रहे हैं, पर प्रशिक्षित नहीं हैं, उनके लिए नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) तथा कुछ अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा भी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से टीचिंग की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे टीचिंग की बारीकियों को बेहतर ढंग से समझ सकें।

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